हुआ सवेरा हमें आफ़ताब मिल ही गया
हुआ सवेरा हमें आफ़ताब मिल ही गयाअँधेरी शब को करारा जवाब मिल ही गया
अगरचे हो गयीं काँटों से उंगलियाँ ज़ख़्मी
मगर मुझे वो महकता गुलाब मिल ही गया
हवा ने डाल दिया गेसुओं को चेहरे पर
हसीन रूख़ को तुम्हारे नक़ाब मिल ही गया
तुझे भी बावली कहने लगी है ये दुनिया
मुझे भी अहले-जुनूँ का खिताब मिल ही गया
लो ख़त्म हो गया उजडे़ मंज़रो का सफ़र
उदास आँखों को मनचाहा ख़्वाब मिल ही गया
बढ़ा के हाथ अचानक पलट गया साक़ी
मैं मुतमइन था कि जामे-शराब मिल ही गया
चमकती धूप में समझे हैं काँच के टुकड़े
कि मोतियों सा उन्हें आबो ताब मिल ही गया
पिला रहा है तो दिल से पिलाये जा साक़ी
न कर गुरूर जो कारे-सवाब मिल ही गया
बहुत ही बच के निकलता है वो ‘अकेला’ से
करेगा क्या, जो ये ख़ानाख़राब मिल ही गया - विरेन्द्र खरे अकेला
परिचयविरेन्द्र खरे का जन्म 18 अगस्त 1968 को छतरपुर (म.प्र.) के किशनगढ़ ग्राम में हुआ आपके पिता स्व० श्री पुरूषोत्तम दास खरे एवं माता श्रीमती कमला देवी खरे है | आपने अपनी शिक्षा एम०ए० (इतिहास), बी०एड० में पूरी की | आप प्रमुख रूप से ग़ज़ल, गीत, कविता, व्यंग्य-लेख, कहानी, समीक्षा आलेख विधाओ में लिखते है | आप अपनी रचनाओ में उपनाम "अकेला" उपयोग करते है |
आपकी तीन किताबे प्रकाशित हो चुकी है जिनमे
1. शेष बची चौथाई रात 1999 (ग़ज़ल संग्रह),
2. सुबह की दस्तक 2006 (ग़ज़ल-गीत-कविता),
3. अंगारों पर शबनम 2012(ग़ज़ल संग्रह) शामिल है |
आपकी कई रचनाये वागर्थ, कथादेश, वसुधा, शुक्रवार सहित विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई है एवं लगभग 22 वर्षों से आकाशवाणी छतरपुर से रचनाओं का निरंतर प्रसारण होता आ रहा है | आपकी कई रचनाये आकाशवाणी द्वारा गायन हेतु भी ली गयी है |
आपके ग़ज़ल-संग्रह 'शेष बची चौथाई रात' पर अभियान जबलपुर द्वारा 'हिन्दी भूषण' अलंकरण दिया गया | इसके अतिरिक्त मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन एवं बुंदेलखंड हिंदी साहित्य-संस्कृति मंच सागर [म.प्र.] द्वारा कपूर चंद वैसाखिया 'तहलका', अ०भा० साहित्य संगम, उदयपुर द्वारा काव्य कृति 'सुबह की दस्तक' पर राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान के अन्तर्गत 'काव्य-कौस्तुभ' सम्मान तथा लायन्स क्लब द्वारा ‘छतरपुर गौरव’ सम्मान मिला |
वर्तमान में आप अध्यापन कार्य कर रहे है | आपसे निम्न पते व नंबर पर संपर्क किया जा सकता है :
सम्पर्क : छत्रसाल नगर के पीछे, पन्ना रोड, छतरपुर (म.प्र.)पिन-471001
मोबाइल फ़ोन नम्बर-09981585601
Email-virendraakelachh@gmail.com
hua sawera hame aaftab mil hi gaya
Hua sawera hame aaftab mil hi gayaAndheri shab ko karara jawab mil hi gaya
Agarche ho gayi kaanto se ungliya jakhm
Magar mujhe wo kahlata gulab mil hi gaya
hawa ne dal diya gesuo ko chehre par
haseen rukh ko tumhare naqab mil hi gaya
tujhe bhi bawli kahne lagi hai duniya
mujhe bhi ahle-junun ka khitab mil hi gaya
lo khatam ho gaya ujde manzro ka safar
udas aankho ko manchaha khwab mil hi gaya
badha ke hath achanak palat gaya saki
mai mutmaeen tha ki jam-e-sharab mil hi gaya
chamkati dhoop me samjhe hai kaanch ke tukde
ki motiyo sa unhe aabo-taab mil hi gaya
pila raha hai to dil se pilaye ja saqi
n kar guroor jo kare-sawab mil hi gaya
bahut hi bach ke nikalata hai wo 'Akela' se
karega kya, jo ye khanakharab mil hi gaya - Virendra Khare Akela