श्रीराम बोलना भी सियासत में आ गया - गोपाल कृष्ण सक्सेना पंकज

श्रीराम बोलना भी सियासत में आ गया अब तो ख़ुदा का घर भी अदालत में आ गया।

श्रीराम बोलना भी सियासत में आ गया

श्रीराम बोलना भी सियासत में आ गया
अब तो ख़ुदा का घर भी अदालत में आ गया।

पहले भी तोड़ते थे उन्हें शाख़ से मगर
फूलों का कत्ल अब तो तिजारत में आ गया।

बस ढूँढते रह जाओगे इंसान का चेहरा
तारीख़ का वो दौर भी भारत में आ गया।

रघुकुल का क्या बिगाड़ेगी बदज़ात मंथरा
वनवास अब तो राम की आदत में आ गया।

चुप ही रहो तो ठीक है इस रामराज्य में
सच बोलना भी अब तो बगा़वत में आ गया।

चेहरे बिके बाज़ार में ग़ज़लों के इस तरह
'पंकज' का शौके-फ़न भी तिजारत में आ गया।- गोपाल कृष्ण सक्सेना 'पंकज'


shriram bolna bhi siyasat me aa gya

shriram bolna bhi siyasat me aa gya
ab to khuda ka ghar ka bhi adalat me aa gya

pahle bhi todte the unhe shakh se magar
phoolo ka katl ab to tijarat me aa gya

bas dhundhte rah jaoge insan ka chehra
tarikh ka wo dour bhi Bharat me aa gya

raghukul ka kya bigadegi badjat manthra
wanwas ab to ram ki aadat me aa gya

chup hi raho to thik hai is ramrajy me
sach bolna bhi ab to bagawat me aa gya

chehre bike bazar me ghazalo ke is tarah
"Pankaj" ka shouke-fan bhi tijarat me aa gya - Gopal Krishna Saxena "Pankaj"
shriram bolna bhi siyasat me aa gaya
गोपाल कृष्ण सक्सेना 26 फरवरी 1934 को उत्तर प्रदेश के उरई में जन्मे | आप ने अंग्रेजी साहित्य में एम ए किया और आप सागर विश्वविद्यालय में अग्रेजी साहित्य के प्रोफ़ेसर भी रहे } आप "फ़िराक गोरखपुरी और हरिवंशराय बच्चन के शिष्य भी रहे है | आपका एक ग़ज़ल संग्रह भी प्रकाशित हुआ है नाम है "दीवार में दरार है "

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