सुनाओ कोई कहानी कि रात कट जाए
सुनाओ कोई कहानी कि रात कट जाएइसी तरह से है मुमकिन हयात कट जाए
तुम्हारी बज़्म से उठ जाऊँगा अचानक मैं,
किसी की, बीच में ही जैसे बात कट जाए
हमारे बच्चों की क़दरें बहोत हैं हमसे जुदा,
वुजूद से न किसी दिन ये ज़ात कट जाए
पकड़ के रखते हैं मुहरों को लोग इस डर से,
जगह-जगह से न दिल की बिसात कट जाए
फ़क़त वो ठूंठ सा होगा सभी की नज़रों में,
किसी शजर का अगर पात-पात कट जाए - ज़ैदी जाफ़र रज़ा
Sunao koi kahani ki raat kat jaye
Sunao koi kahani ki raat kat jayeisi tarah se hai mumkin hayaat kat jaye
tumhari bazm se uth jaunga achanak mai,
kisi ki, beech me hi jaise baat kat jaye
hamare bachcho ki kadre bahot hai hamse juda,
wajud se n kisi din ye jaat kat jaye
pakad ke rakhte hai muhro ko log dar se,
jagah-jagah se n dil ki bisat kat jaye
faqat wo thuth sa hoga sabhi ki nazro me,
kisi shazar ka agar paat-paat kat jaye - Jaidi Zafar Raza
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " प्रेम से बचा ना कोई " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जखीरा को शामिल करने हेतु धन्यवाद
बहुत सुन्दर गजल ..