सुनाओ कोई कहानी कि रात कट जाए - ज़ैदी जाफ़र रज़ा

सुनाओ कोई कहानी कि रात कट जाए

सुनाओ कोई कहानी कि रात कट जाए
इसी तरह से है मुमकिन हयात कट जाए

तुम्हारी बज़्म से उठ जाऊँगा अचानक मैं,
किसी की, बीच में ही जैसे बात कट जाए

हमारे बच्चों की क़दरें बहोत हैं हमसे जुदा,
वुजूद से न किसी दिन ये ज़ात कट जाए

पकड़ के रखते हैं मुहरों को लोग इस डर से,
जगह-जगह से न दिल की बिसात कट जाए

फ़क़त वो ठूंठ सा होगा सभी की नज़रों में,
किसी शजर का अगर पात-पात कट जाए - ज़ैदी जाफ़र रज़ा


Sunao koi kahani ki raat kat jaye

Sunao koi kahani ki raat kat jaye
isi tarah se hai mumkin hayaat kat jaye

tumhari bazm se uth jaunga achanak mai,
kisi ki, beech me hi jaise baat kat jaye

hamare bachcho ki kadre bahot hai hamse juda,
wajud se n kisi din ye jaat kat jaye

pakad ke rakhte hai muhro ko log dar se,
jagah-jagah se n dil ki bisat kat jaye

faqat wo thuth sa hoga sabhi ki nazro me,
kisi shazar ka agar paat-paat kat jaye - Jaidi Zafar Raza

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