बेवफा रास्ते बदलते है
बेवफा रास्ते बदलते हैहमसफ़र साथ चलते है
किसके आसू छिपे है फूलो में
चूमता हूँ तो होठ जलते है
उसकी आँखों को गौर से देखो
मंदिरों में चराग जलते है
दिल में रहकर नजर नहीं आते
ऐसे कांटे कहा निकलते है
एक दीवार वो भी शीशे की
दो बदन पास-पास जलते है
कांच के मोतियों के आसू के
सब खिलोने गजल में ढलते है - बशीर बद्र
Bewafa raste badlate hai
Bewafa raste badlate haihamsafar sath chalte hai
kiske aasu chhipe hai phoolo me
chumta hun to hoth jalte hai
uski aankho ko gour se dekho
mandiro me charagh jalte hai
dil me rahkar nazar nahi aate
aise kaate kahan niklate hai
ek deewar wo bhi sheeshe ki
do badan paas-paas jalte hai
kaanch ke motiyon ke aasu ke
sab khilone ghazal me dhalte hai - Bashir Badr
लाजवाब...
नीरज
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 01- 02- 2011
को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
शुभां अल्लाह....
बशीर बद्र तो मेरे महबूब शायर हैं... उन्हें पढ़ना हमेशा ही बायसे मसर्रत होता है.....शुक्रिया...
दिल में रहकर नजर नहीं आते
ऐसे कांटे कहा निकलते है